श्री राम के 108 नाम

श्री राम के 108 नाम

श्री राम के 108 नाम

क्र.सं.संस्कृत नाममंत्रअर्थ
1
श्रीराम
ॐ श्रीरामाय नमः ।जिनमें योगीजन रमण करते हैं
2
रामचन्द्र
ॐ रामभद्राय नमः ।चंद्रमा के समान आनन्दमयी एवं मनोहर राम
3रामभद्रॐ रामचंद्राय नमः ।कल्याणमय राम
4शाश्वतॐ शाश्वताय नमः ।सनातन राम
5राजीवलोचनॐ राजीवलॊचनाय नमः ।कमल के समान नेत्रोंवाले
6श्रीमान् राजेन्द्रॐ राजॆंद्राय नमः ।श्री सम्पन्न राजाओं के भी राजा, चक्रवर्ती सम्राट
7रघुपुङ्गवॐ रघुपुंगवाय नमः ।रघुकुल में श्रेष्ठ
8जानकीवल्लभॐ जानकीवल्लभाय नमः ।जनककिशोरी सीता के प्रियतम
9जैत्रॐ चैत्राय नमः ।विजयशील
10जितामित्रॐ जितमित्राय नमः ।शत्रुओं को जीतनेवाला
11जनार्दनॐ जनार्दनाय नमः ।सम्पूर्ण मनुष्यों द्वारा याचना करने योग्य
12विश्वामित्रप्रियॐ विश्वामित्र प्रियाय नमः ।विश्वामित्रजी के प्रियतम
13दांतॐ दांताय नमः ।जितेंद्रिय
14शरण्यत्राणतत्परॐ शरण्यत्राणतत्पराय नमः ।शरणागतों के रक्षा में तत्पर
15बालिप्रमथनॐ वालिप्रमथनाय नमः ।बालि नामक वानर को मारनेवाले
16वाग्मीॐ वाग्मिनॆ नमः ।अच्छे वक्ता
17सत्यवाक्ॐ सत्यवाचॆ नमः ।सत्यवादी
18सत्यविक्रमॐ सत्यविक्रमाय नमः ।सत्य पराक्रमी
19सत्यव्रतॐ सत्यव्रताय नमः ।सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करनेवाले
20०व्रतफलॐ व्रतधराय नमः ।सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप
21
सदा हनुमदाश्रय
ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नमः ।निरंतर हनुमान जी के आश्रय
22
कौसलेय
ॐ कौसलॆयाय नमः ।कौसल्याजी के पुत्र
23खरध्वंसी ॐ खरध्वंसिनॆ नमः ।खर नामक राक्षस का नाश करनेवाले
24विराधवधॐ विराधवधपंडिताय नमः ।विराध नामक दैत्य का वध करने में कुशल
25विभीषण-परित्राताॐ विभीषणपरित्राणाय नमः  ।विभीषण के रक्षक
26दशग्रीवशिरोहरॐ हरकॊदंडखंडनाय नमः ।दशशीश रावण के मस्तक काटनेवाले
27सप्ततालप्रभेताॐ सप्तताळप्रभॆत्त्रॆ नमः ।सात ताल वृक्षों को एक ही बाण से बींध डालनेवाले
28हरकोदण्ड-खण्डनॐ दशग्रीवशिरॊहराय नमः ।जनकपुर में शिवजी के धनुष को तोड़नेवाले
29जामदग्न्यमहादर्पदलनॐ जामदग्न्यमहादर्प दळनाय नमः ।परशुरामजी के महान अभिमान को चूर्ण करनेवाले
30०ताडकान्तकृतॐ ताटकांतकाय नमः ।ताड़का नामवाली राक्षसी का वध करनेवाले
31वेदान्तपारॐ वॆदांतसाराय नमः ।वेदान्त के पारंगत विद्वान अथवा वेदांत से भी अतीत
32वेदात्माॐ वॆदात्मनॆ नमः ।वेदस्वरूप
33भवबन्धैकभेषजॐ भवरॊगैकस्यभॆषजाय नमः ।संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप
34दूषणप्रिशिरोsरिॐ दूषणत्रिशिरॊहंत्रॆ नमः ।दूषण और त्रिशिरा नामक राक्षसों के शत्रु
35त्रिमूर्तिॐ त्रिमूर्तयॆ नमः ।ब्रह्मा,विष्णु और शिव तीन रूप धारण करनेवाले
36त्रिगुणॐ त्रिगुणात्मकाय नमः ।त्रिगुणस्वरूप अथवा तीनों गुणों के आश्रय
37त्रयीॐ त्रियी नमः ।तीन वेदस्वरूप
38त्रिविक्रमॐ त्रिविक्रमाय नमः ।वामन अवतार में तीन पगों से समस्त त्रिलोकीको नाप लेनेवाले
39त्रिलोकात्माॐ त्रिलॊकात्मनॆ नमः ।तीनों लोकों के आत्मा
40०पुण्यचारित्रकीर्तनॐ पुण्यचारित्रकीर्तनाय नमः ।जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं, ऐसे
41त्रिलोकरक्षकॐ त्रिलॊकरक्षकाय नमः ।तीनों लोकोंकी रक्षा करनेवाले
42धन्वीॐ धन्विनॆ नमः ।धनुष धारण करनेवाले
43दण्डकारण्यवासकृत्ॐ दंडकारण्यकर्तनाय नमः ।दण्डकारण्य में निवास करनेवाले
44अहल्यापावनॐ अहल्याशापशमनाय नमः ।अहल्याको पवित्र करनेवाले
45पितृभक्तॐ पितृभक्ताय नमः ।पिता के भक्त
46वरप्रदॐ वरप्रदाय नमः ।वर देनेवाले
47जितेन्द्रियॐ जितॆंद्रियाय नमः ।इन्द्रियों को काबू में रखनेवाले
48जितक्रोधॐ जितक्रॊधाय नमः ।क्रोध को जीतनेवाले
49जितलोभॐ जितमित्राय नमः ।लोभ की वृत्ति को परास्त करनेवाले
50०जगद्गुरुॐ जगद्गुरवॆ नमः ।अपने आदर्श चरित्रोंसे सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देनेके कारण सबके गुरु
51
ऋक्षवानरसंघाती
ॐ यक्षवानरसंघातिनॆ नमः ।वानर और भालुओं की सेना का संगठन करनेवाले
52चित्रकूट–समाश्रयॐ चित्रकूटसमाश्रयाय नमः ।वनवास के समय चित्रकूट पर्वत पर निवास करनेवाले
53जयन्तत्राणवरदॐ जयंतत्राणवरदाय नमः ।जयन्त के प्राणों की रक्षा करके उसे वर देनेवाले
54सुमित्रापुत्र- सेवितॐ सुमित्रापुत्रसॆविताय नमः ।सुमित्रानन्दन लक्ष्मण के द्वारा सेवित
55सर्वदेवाधिदेवॐ सर्वदॆवाधिदॆवाय नमः ।‌सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता
56मृतवानरजीवनॐ मृतवानरजीवनाय नमः ।मरे हुए वानरों को जीवित करनेवाले
57
मायामारीचहन्ता
ॐ मायामारीचहंत्रॆ नमः ।मृग का रूप में आये हुए मारीच नामक राक्षस का वध करनेवाले
58
महाभाग
ॐ महादॆवाय नमः ।महान सौभाग्यशाली
59महाभुजॐ महाभुजाय नमः ।बड़ी बड़ी बाँहोंवाले
60०सर्वदेवस्तुतॐ सर्वदॆवस्तुताय नमः ।सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं, ऐसे
61सौम्यॐ स्ॐयाय नमः ।शांतस्वभाव
62ब्रह्मण्यॐ ब्रह्मण्याय नमः ।ब्राह्मणों के हितैषी
63मुनिसत्तमॐ मुनिसंस्तुताय नमः ।मुनियोंमे श्रेष्ठ
64महायोगीॐ महायॊगिनॆ नमः ।सम्पूर्ण योगोंके अधीष्ठान होने के कारण महान योगी
65महोदरॐ महॊदराय नमः ।परम उदार
66सुग्रीवस्थिर-राज्यपदॐ सुग्रीवॆप्सितराज्यदाय नमः ।सुग्रीव को स्थिर राज्य प्रदान करनेवाले
67सर्वपुण्याधिकफलप्रदॐ सर्वपुण्याधिकफलाय नमः ।सम्स्त पुण्यों के उत्कृष्ट फलरूप
68स्मृतसर्वाघनाशनॐ स्मृतसर्वाघनाशनाय नमः ।स्मरण करनेमात्र से ही सम्पूर्ण पापों का नाश करनेवाले
69आदिपुरुषॐ आदिपुरुषाय नमः ।ब्रह्माजीको भी उत्पन्न करनेके कारण सब के आदिभूत अन्तर्यामी परमात्मा
70०महापुरुषॐ परम पुरुषाय नमः ।समस्त पुरुषों मे महान
71परमॐ महापुरुषाय नमः ।सर्वोत्कृष्ट पुरुष
72पुण्योदयॐ पुण्यॊदयाय नमः ।पुण्य को प्रकट करनेवाले
73महासारॐ दयासाराय नमः ।सर्वश्रेष्ठ सारभूत परमात्मा
74पुराणपुरुषोत्तमॐ पुराणपुरुषॊत्तमाय नमः ।पुराणप्रसिद्ध क्षरअक्षर पुरुषोंसे श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम
75स्मितवक्त्रॐ स्मितवक्त्राय नमः ।जिनके मुखपर सदा मुस्कानकी छटा छायी रहती है, ऐसे
76मितभाषीॐ मितभाषिणॆ नमः ।कम बोलनेवाले
77पूर्वभाषीॐ पूर्वभाषिणॆ नमः ।पूर्ववक्ता
78राघवॐ राघवाय नमः ।रघुकुल में अवतीर्ण
79अनन्तगुण गम्भीरॐ अनंतगुणगंभीराय नमः ।अनन्त कल्याणमय गुणों से युक्त एवं गम्भीर
80०धीरोदात्तगुणोत्तरॐ धीरॊदात्तगुणॊत्तराय नमः ।धीरोदात्त नायकके लोकोतर गुणों से युक्त
81मायामानुषचारित्रॐ मायामानुषचारित्राय नमः ।अपनी मायाका आश्रय लेकर मनुष्योंकीसी लीलाएँ करनीवाले
82महादेवाभिपूजितॐ महादॆवादिपूजिताय नमः ।भगवान शंकर के द्वारा निरन्तर पूजित
83सेतुकृतॐ सॆतुकृतॆ नमः ।समुद्रपर पुल बाँधनेवाले
84जितवारीशॐ जितवाराशयॆ नमः ।समुद्रको जीतनेवाले
85सर्वतीर्थमयॐ सर्वतीर्थमयाय नमः ।सर्वतीर्थस्वरूप
86हरिॐ हरयॆ नमः ।पापताप को हरनेवाले
87श्यामाङ्गॐ श्यामांगाय नमः ।श्याम विग्रहवाले
88सुन्दरॐ सुंदराय नमः ।परम मनोहर
89शूरॐ शूराय नमः ।अनुपम शौर्यसे सम्पन्न वीर
90०पीतवासाॐ पीतवासाय नमः ।पीताम्बरधारी
91धनुर्धरॐ धनुर्धराय नमः ।धनुष धारण करनेवाले
92सर्वयज्ञाधिपॐ सर्वयज्ञाधिपाय नमः ।सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी
93यज्ञॐ यज्ञाय नमः ।यज्ञ स्वरूप
94जरामरणवर्जितॐ जरामरणवर्जिताय नमः ।बुढ़ापा और मृत्यु से रहित
95शिवलिंगप्रतिष्ठाताॐ विभीषण प्रतिष्ठात्रॆ नमः ।रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना करनेवाले
96सर्वाघगणवर्जितॐ सर्वापगुणवर्जिताय नमः ।समस्त पापराशियों से रहित
97परमात्माॐ परमात्मनॆ नमः ।परमश्रेष्ठ, नित्यशुद्ध-बुद्ध –मुक्तस्वरूपा
98परं ब्रह्मॐ परस्मैब्रह्मणॆ नमः ।सर्वोत्कृष्ट, सर्वव्यापी एवं सर्वाधिष्ठान परमेश्वर
99
सच्चिदानन्दविग्रह
ॐ सच्चिदानंदविग्रहाय नमः ।सत्, चित् और आनन्द ही जिनके स्वरूप का निर्देश करानेवाला है
100
०परं ज्योति
ॐ परस्मैज्यॊतिषॆ नमः ।
 
परम प्रकाशमय,परम ज्ञानमय
101परं धाम ॐ परस्मैधाम्नॆ नमः ।सर्वोत्कृष्ट तेज अथवा साकेतधामस्वरूप
102पराकाशॐ पराकाशाय नमः ।त्रिपाद विभूतिमें स्थित परमव्योम नामक वैकुण्ठधामरूप, महाकाशस्वरूप ब्रह्म
103परात्परॐ परात्परस्मै नमः ।पर इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर
104परेशॐ परॆशाय नमः ।सर्वोत्कृष्ट शासक
105पारगॐ पारगाय नमः ।सबकोपार लगानेवाले अथवा मायामय जगत की सीमा से बाहर रहनेवाले
106
पार
ॐ पाराय नमः ।भवसागर से पार जाने की इच्छा रखनेवाले प्राणियों के प्राप्तव्य परमात्मा
107
सर्वभूतात्मक
ॐ सर्वदॆवात्मकाय नमः ।सर्वभूतस्वरूप
108शिवॐ परस्मै नमः ।परम कल्याणमय