धनतेरस

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धनतेरस

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो खुशी और भक्ति के साथ मनाया जाता है। हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।

यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और पूरे देश में बड़ी भव्यता और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार को बड़े स्तर पर मनाते हैं और अपने घर को रोशनी, फूलों, रंगोली और दीयों से सजाते हैं। धनतेरस पर नई चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है जो कोई भी धनतेरस के दिन खरीदारी करता है, उसके घर पर सुख और समृद्धि आती है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तुएं कई वर्षों तक शुभ फल प्रदान करती हैं।

 धनतेरस 2023: तिथि और समय

त्रयोदशी तिथि आरंभ – 10 नवंबर 2023 – 12:35 PM

त्रयोदशी तिथि समाप्त – 11 नवंबर 2023 – 01:57 PM

धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। 
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है।  धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन और वाहन खरीदना शुभ होता है। 

इस दिन लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु घर लाते हैं, तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है। 

धनतेरस 2023: पूजा अनुष्ठान

  1. सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  2. घर और विशेषकर पूजा कक्ष को साफ करें।
  3. अपने घर को अंदर के साथ-साथ बाहर भी सजाएं।
  4. पूजा मुहूर्त के दौरान भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की मूर्ति रखें।
  5. देसी घी का दीया जलाकर पूजा करें, तिलक लगाएं, माला चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
  6. शुभ मुहूर्त में कोई भी चीज खरीदें और उस चीज को मूर्ति के सामने रखकर तिलक लगाकर और अगरबत्ती से पूजा करें।

धनतेरस कथा:

एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक में भ्रमण कर रहे थे। भगवान विष्णु ने एक स्थान पर माता लक्ष्मी को रोका और कहा कि वह दक्षिण दिशा में जा रहे हैं, जब तक वे लौटकर नहीं आते हैं तब तक आप यहीं पर रहें। ऐसा कहकर भगवान विष्णु वहां से प्रस्थान कर गए। कुछ देर के बाद माता लक्ष्मी के मन में जिज्ञासा हुई कि श्री हरि विष्णु दक्षिण में क्यों गए हैं?

माता लक्ष्मी वहां से उस दिशा में चल दीं, जिस ओर भगवान विष्णु गए थे। रास्ते में एक खेत में सरसों के पीले फूल देखकर वह अति प्रसन्न हुईं। उन्होंने उससे अपना श्रृंगार किया और आगे एक और गन्ने के खेत से गन्ना तोड़कर चूसने लगीं। तभी भगवान विष्णु वहां आ गए। माता लक्ष्मी को वहां देख कर वे नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि आपने किसान के खेत से चोरी की है और उनकी भी बात नहीं मानी है। इस वजह से आपको अब बारह साल तक किसान की सेवा करनी होगी। इसके बाद भगवान विष्णु वहां से चले गए।

माता लक्ष्मी बारह वर्षों तक उस किसान के यहां रहीं, वह बहुत सम्पन्न हो गया था। उसके पास सोने, चांदी, अन्न, आदि की कमी नहीं थी। बारह वर्षोंके बाद भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को लेने आए, तो किसान ने उनको भेजने से मना कर दिया। तब भगवान विष्णु ने कहा कि उनके श्राप के कारण माता लक्ष्मी ने बारह साल तक तुम्हारी सेवा की है, अब ये यहां नहीं रह सकती हैं, लेकिन किसान फिर भी नहीं माना।

तब माता लक्ष्मी ने कहा कि कल त्रयोदशी तिथि है, इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई करना, रात्रि के समय कलश में रुपये-पैसे रखकर विधि विधान से मेरी पूजा करना। मैं उस कलश में वास करूंगी, लेकिन तुम मुझे देख नहीं पाओगे। इस दिन पूजा करने से पूरे वर्ष मैं तुम्हारे घर रहूंगी। उसने माता लक्ष्मी की बात मानकर त्रयोदशी को पूजा किया, जिससे वह पहले से ज्यादा धन-धान्य से संपन्न हो गया। इस कारण से हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को माता लक्ष्मी की पूजा और धनतेरस कथा होने लगी।