माँ ज्वाला देवी आरती
माँ ज्वाला देवी की आरती
माँ ज्वाला देवी आरती में माँ ज्वाला देवी की स्तुति की गई है। माता ज्वाला देवी शक्ति के 52 शक्तिपीठों मे से एक है यह धूमा देवी का स्थान बताया जाता है। इस मंदिर जोता वाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। चिंतपूर्णी, नैना देवी, शाकम्भरी शक्तिपीठ, विंध्यवासिनी शक्तिपीठ और वैष्णो देवी की ही भांति यह एक सिद्ध स्थान है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। यहां माता ज्वाला के रूप में विराजमान हैं और भगवान शिव यहां उन्मत भैरव के रूप में स्थित हैं।
इस मदिर का चमत्कार यह है कि यहां कोई मूर्ति नहीं है बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रहीं 9 ज्वालों की पूजा की जाती है। मंदिर मे भगवती के दर्शन नौ ज्योति रूपों मे होते हैं जिनके नाम क्रमशः महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, हिंगलाज भवानी, विंध्यवासिनी,अन्नपूर्णा, चण्डी देवी, अंजना देवी और अम्बिका देवी है । उत्तर भारत की प्रसिद्ध नौ देवियों के दर्शन के दौरान चौथा दर्शन माँ ज्वाला देवी का ही होता है । कई भू-वैज्ञानिक ने कई किमी की खुदाई करने के बाद भी यह पता नहीं लगा सके कि यह प्राकृतिक गैस कहां से निकल रही है। साथ ही आजतक कोई भी इस ज्वाला को बुझा भी नहीं पाया है।
प्राचीन किंवदंतियों में ऐसे समय की बात आती है जब राक्षस हिमालय के पहाड़ों पर प्रभुत्व जमाते थे और देवताओं को परेशान करते थे। भगवान विष्णु के नेतृत्व में, देवताओं ने उन्हें नष्ट करने का फैसला किया। उन्होंने अपनी ताकत पर ध्यान केंद्रित किया और विशाल लपटें जमीन से उठ गईं। उस आग से एक छोटी बच्ची ने जन्म लिया। उसे आदिशक्ति-प्रथम ‘शक्ति’ माना जाता है।
सती के रूप में जानी जाने वाली, वह प्रजापति दक्ष के घर में पली-बढ़ी और बाद में, भगवान शिव की पत्नी बन गई। एक बार उसके पिता ने भगवान शिव का अपमान किया सती को यह स्वीकार ना होने के कारण, उसने खुद को हवन कुंड मे भस्म कर डाला। जब भगवान शिव ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बारे में सुना तो उनके गुस्से का कोई ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने सती के शरीर को पकड़कर तीनों लोकों मे भ्रमण करना शुरू किया। अन्य देवता शिव के क्रोध के आगे कांप उठे और भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने सती के शरीर को चक्र के वार से खंडित कर दिया। जिन स्थानों पर ये टुकड़े गिरे, उन स्थानों पर इक्यावन पवित्र ‘शक्तिपीठ’ अस्तित्व में आए। “सती की जीभ ज्वालाजी पर गिरी थी और देवी छोटी लपटों के रूप में प्रकट हुई। ऐसा कहा जाता है कि सदियों पहले, एक चरवाहे ने देखा कि अमुक पर्वत से ज्वाला निकल रही है और उसके बारे मे राजा भूमिचंद को बताया। राजा को इस बात की जानकारी थी कि इस क्षेत्र में सती की जीभ गिरी थी। राजा ने वहाँ भगवती का मंदिर बनवा दिया
ज्वालामुखी युगों से एक तीर्थस्थल है। मुगल बादशाह अकबर ने एक बार आग की लपटों को एक लोहे की चादर से ढँकने का प्रयास किया और यहाँ तक कि उन्हें पानी से भी बुझाना चाहा। लेकिन ज्वाला की लपटों ने इन सभी प्रयासों को विफल कर दिया। तब अकबर ने तीर्थस्थल पर एक स्वर्ण छत्र भेंट किया और क्षमा याचना की। हालाँकि, देवी की सामने अभिमान भरे वचन बोलने के कारण देवी ने सोने के छत्र को एक विचित्र धातु में तब्दील कर दिया, जो अभी भी अज्ञात है। आध्यात्मिक शांति के लिए हजारों तीर्थयात्री साल भर तीर्थ यात्रा पर जाते हैं।
माँ ज्वाला देवी आरती भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। माँ ज्वाला देवी आरती का पाठ करने से भक्तों को धन-धान्य, सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। कहते हैं मां के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर सच्ची भक्ति से यदि कोई भक्त माँ ज्वाला देवी आरती का पाठ करता है तो उस पर मां का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।
ॐ जय ज्वाला माई, मैय्या जय ज्वाला माई ।
कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
मैय्या जय ज्वाला माई, मैय्या जय ज्वाला माई ।
कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
अटल अखंड तेरी ज्योति, युग युग से ही जगे ।
ऋषि मुनि सुर नर सबको, बड़ी प्यारी माँ लागे ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
पार्वती रूप शिव शक्ति, तू ही माँ अम्बे ।
पूजे तुम्हे त्रिभुवन के, देवता जगदम्बे ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
लाखों सूरज फीके, ज्योति तेरी आगे ।
तेरे चिंतन से माँ, भवका भय भागे ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
चरण शरण में चल के, जो तेरे द्वारे आये ।
खाली कभी न जाए, वांछित फल पाए ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
दुर्गति नाशक चंडिका, तू दानव दलनी ।
दिन हिन् की रक्षक तू ही सुख करनी ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
आठों सिद्धियाँ तेरे, द्वार भरे पानी ।
दान माँ तुझसे लेते, बड़े बड़े महादानी ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
चरण कमल तेरी धोकर, ध्यानु ने रस था पिया ।
तेरी धुन में खोकर, शीश तेरे भेंट किया ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
भक्तों के काज असंभव, संभव तू करती ।
सुख रत्नों से सबकी, झोलियाँ तू भरती ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
धुप दीप पुष्पों से, होए तेरा अभिषेक ।
तेरे दर रंक को राजा, बनते हुए देखा ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
अष्ट भुजी सिंह वाहिनी, तू माँ रुद्राणी ।
धन वैभव यश देना, हमको महारानी ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
ज्योति बुझाने आये, राजे अभिमानी ।
हार गए वो तुमसे, मूढ़ मति अज्ञानी ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
माई ज्वाला तेरी आरती, श्रद्धा से जो गाये ।
वो निर्दोष उपासक, भव से तर जाए ॥
ॐ जय ज्वाला माई…
ॐ जय ज्वाला माई, मैय्या जय ज्वाला माई ।
कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुखदायी ॥
ॐ जय ज्वाला माई…