शक्तिपीठ
52 शक्ति पीठ
52 शक्ति पीठ हिंदू धर्म में देवी-केंद्रित संप्रदाय, शक्तिवाद में महत्वपूर्ण मंदिर और तीर्थ स्थल हैं। मंदिर आदि शक्ति के विभिन्न रूपों को समर्पित हैं। श्रीमद देवी भागवतम जैसे विभिन्न पुराणों में अलग-अलग संख्या में 51, 52, 64 और 108 शक्ति पीठों का अस्तित्व बताया गया है जिनमें से 18 को अष्टदश नाम दिया गया है।
प्रमुख अठारह पुराणों में से एक, ब्रह्माण्ड पुराण में 64 शक्ति पीठों का उल्लेख करता है। महापीठपुराण के अनुसार, ऐसे 52 शक्ति पीठ हैं। उन 52 शक्ति पीठ स्थलों की संख्या और स्थान पर आम सहमति नहीं है। देवी पूजा के इनमें से अधिकांश ऐतिहासिक स्थान भारत में हैं। प्राचीन और आधुनिक स्रोतों में कई किंवदंतियाँ थीं जो इस साक्ष्य का दस्तावेजीकरण करती हैं।
पौराणिक कथा:
विभिन्न किंवदंतियाँ बताती हैं कि शक्ति पीठ कैसे अस्तित्व में आए। सबसे लोकप्रिय देवी सती की मृत्यु की कहानी पर आधारित है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें दुनिया के सभी प्रजापतियों, देवताओं और राजाओं को आमंत्रित किया गया था। यज्ञ में भाग लेने के लिए शिव और सती को भी बुलाया गया। वे सभी यज्ञ में आये और यज्ञ स्थल पर बैठ गये। सबसे बाद में दक्ष आये. जब वह पहुंचे, तो यज्ञ में ब्रह्मा और शिव को छोड़कर सभी लोग उनके प्रति अपनी श्रद्धा दिखाते हुए खड़े हो गए। ब्रह्मा, दक्ष के पिता होने के नाते, उठे नहीं। शिव, दक्ष के दामाद होने के नाते, और इस तथ्य के कारण भी कि वे खुद को दक्ष से कद में श्रेष्ठ मानते थे, बैठे रहे। दक्ष ने शिव के इशारे को ग़लत समझा और इस कृत्य को अपना अपमान समझा। दक्ष ने अपमान का बदला इसी प्रकार लेने की प्रतिज्ञा की।
दक्ष ने शिव से बदला लेने की इच्छा से यज्ञ किया। दक्ष ने शिव और सती को छोड़कर सभी देवताओं को यज्ञ में आमंत्रित किया। यह तथ्य कि उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था, सती की यज्ञ में शामिल होने की इच्छा पर कोई असर नहीं पड़ा। उसने शिव से अपनी इच्छा व्यक्त की, जिन्होंने उसे जाने से रोकने की पूरी कोशिश की। उनके लगातार आग्रह करने पर वह मान गए, सती अपने पिता के यज्ञ में चली गईं। हालाँकि, सती को यज्ञ में उचित सम्मान नहीं दिया गया और उन्हें दक्ष द्वारा शिव के अपमान का गवाह बनना पड़ा। दुखी होकर सती ने अपने पिता को श्राप दिया और आत्मदाह कर लिया।
अपने जीवनसाथी के अपमान और मृत्यु से क्रोधित होकर, शिव ने अपने वीरभद्र अवतार में दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया और उसका सिर काट दिया। उनका क्रोध शांत नहीं हुआ और दुःख में डूबे हुए, शिव ने सती के शरीर के अवशेषों को उठाया और पूरी सृष्टि में तांडव, विनाश का दिव्य नृत्य किया। भयभीत होकर, अन्य देवताओं ने विष्णु से इस विनाश को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। उपाय के रूप में विष्णु ने सती के शव पर सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया। इससे सती के शरीर के विभिन्न हिस्से दुनिया भर में कई स्थानों पर गिरे। पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान जहां सती के शरीर के अंग गिरे हुए थे, उन्हें शक्ति पीठ के रूप में माना जाता था और उन्हें महान आध्यात्मिक महत्व के स्थान माना जाता था।
52 शक्ति पीठ
1 – हिंगलाज शक्ति पीठ, पाकिस्तान
कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है हिंगलाज शक्तिपीठ। पुराणों की मानें तो यहां माता का सिर गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी कोट्टवीशा) है। भीम लोचन भैरव इस शक्ति पीठ की रक्षा करते हैं|
2 – शर्कररे (करवीर) शक्ति पीठ, पाकिस्तान
यह शक्ति पीठ पाकिस्तान स्थित में कराची के सुक्कर स्टेशन के पास है| कहा जाता है की यहाँ पर माता सती की आंख गिरी थी | और इस शक्ति पीठ का नाम महिषासुर मर्दिनी है और इस शक्ति पीठ की रक्षा क्रोधिश भैरव जी करते हैं।
3 – सु्गंधा-सुनंदा शक्ति पीठ, बांग्लादेश
यह बांग्लादेश के शिकारपुर से कुछ दूर सोंध नदी के किनारे पर प्रतिष्ठित है| जहाँ माता सती जी की नासिका गिरी थी| इस शक्ति पीठ का नाम सुनंदा है और त्र्यम्बक भैरव जी इसके रक्षक भी है।
4 – महामाया शक्ति पीठ, जम्मू एवं कश्मीर
महामाया शक्तिपीठ भारत के कश्मीर में पहलगांव के पास स्थित है यहाँ पर माता का कंठ गिरा था। यहीं माहामाया शक्तिपीठ बना दिया गया है। रक्षक भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं।
5 – ज्वालामुखी शक्ति पीठ, हिमाचल प्रदेश
ये शक्ति पीठ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में स्थित है। यहाँ माता सती की जीभा गिरी थी। इसलिए इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम सिद्धिदा अंबिका है।
6 – त्रिपुर मालिनी शक्ति पीठ, पंजाब
त्रिपुर मालिनी शक्ति पीठ पंजाब के जालंधर में है ये छावनी स्टेशन के पास देवी तालाब है जहाँ सती जी का बांया वक्ष(स्तन) गिरा था इस शक्ति पीठ की का नाम त्रिपुर मालिनी है और भीषण भैरव इसके रक्षक है
7 – वैधनाथ शक्ति पीठ, झारखंड
ये शक्ति पीठ झारखंड के देवघर में बैधनाथ धाम नाम से स्थित है यहाँ पर माता का हृदय गिरा था।
8 – गुजरेश्वरी शक्ति पीठ, नेपाल
यहां माता सती के दोनों घुटने गिरे थे। और ये नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास बसा है।
9 – मानस दाक्षायणी शक्ति पीठ, तिब्बत
तिब्बत में जाकर कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास एक पाषाण शिला पर माँ सती का दायां हाथ गिरा था।
10 – विरजाक्षेतर, ओडिशा
ओडिशा में विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी। और इस शक्ति पीठ का नाम विमला है|
11 – गंडकी शक्ति पीठ, नेपाल
ये शक्तिपीठ नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर मुक्तिनाथ मंदिर है यहाँ माता की कनपटी गिरी थी और इस मंदिर की शक्ति माता गंडकी चण्डी है और चक्रपाणि भैरव इसके रक्षक है
12 – बहुला (चंडिका) शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
भारत मे पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला से कुछ दूरी पर कटुआ केतुग्राम के पास अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता सती का बायां हाथ गिरा था और माता की सेवा मे रक्षक भैरव भीरुक स्थापित है|
13 – मांगल्य चंडिका (उज्जयिनी), पश्चिम बंगाल
भारत के पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले गुस्कुर स्टेशन से उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी और इस शक्ति का नाम मंगल चन्द्रिका है और कपिलांबर भैरव इसके रक्षक भी है।
14 – त्रिपुर सुंदरी, त्रिपुरा
भारत के उदरपुर के पास राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। इसका नाम त्रिपुरसुंदरी है और त्रिपुरेश भैरव रक्षक है।
15 – चट्टलभवानी शक्ति पीठ, बांग्लादेश
बांग्लादेश में चिट्टागौंग जिले के सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा जका कर गिरी थी और इस शक्ति का नाम माता भवानी है और चन्द्र शेखर भैरव रक्षक है।
16 – त्रिस्रोता भ्रामरी शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
यहाँ माता सती जी का बांया पैर गिरा था आकर और ये पश्चिमी बंगाल के जलपाईगुड़ी के बोडामंडल के सालबाढी़ गांव मे स्थित त्रिस्रोत स्थान पर मौजूद है
17 – कामाख्या शक्ति पीठ, असम
भारत के राज्य असम मे गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत पर कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। इसका शक्तिपीठ नाम माँ कामाख्या है और उमानंद भैरव रक्षक
18 – प्रयाग ललिता शक्ति पीठ, प्रयागराज
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयाग) के संगम तट पर यह शक्ति पीठ स्थित है और यहाँ पर माता सती की अंगुली गिरी थी। और इस शक्तिपीठका नाम ललिता देवी है
19 – शक्ति पीठ जयंती, बांग्लादेश
ये बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर स्थित एक जयंती मंदिर है। यहां माँ सती जी की बायीं जंघा गिरी थी और इस शक्तिपीठ का नाम जयंती माता है।
20 – युगाद्धा (भूतधात्री शक्तिपीठ), पश्चिम बंगाल
युगाद्धा पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में खीर ग्राम स्थित स्थान पर स्थित है यहाँ माता सती का दाएँ पैर का अंगूठा जाकर गिरा था इस शक्ति पीठ की शक्ति भूतधात्री माता है|इसके रक्षक भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं
21 – कालिका शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
यह भारत मे स्थित बंगाल के कोलकाता में स्थित है यहाँ कालीघाट पर माता सती के बांया पैर का अंगुठा गिरा था इस शक्ति पीठ का नाम माँ कालिका है रक्षक भैरव नकुशील हैं।
22 – किरीट शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
ये पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले के लालबाग कोर्ट रोड के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था।
23 – विशालाक्षी शक्ति पीठ, उत्तरप्रदेश
ये उत्तरप्रदेश के वाराणसी काशी में स्थित है यहाँ मणिकर्णिका घाट पर माता सती के कान के कुंडल गिरे थे इस शक्ति का नाम माँ विशालाक्षी मणिकर्णि है और इसके रक्षक भैरव को कालभैरव है
24 – सर्वाणी शक्ति पीठ
ये कन्या आश्रम यहाँ माता सती का पृष्ठ भाग गिरा था इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति सर्वाणी माता है और रक्षक भैरव को निमिष हैं।
25 – सावित्री शक्ति पीठ, हरियाणा
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में यहाँ माता की एड़ी गिरी थी। इस शक्ति का नाम सावित्री हैं।
26 – गायत्री मणिदेविक शक्ति पीठ, राजस्थान
अजमेर मे स्थित पुष्कर के मणिबन्ध स्थान के गायत्री पर्वत पर माता सती के दो मणिबंध गिरे थे।
27 – महालक्ष्मी श्रीशैल शक्ति पीठ, बांग्लादेश
बांग्लादेश मे सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता सती का गला (ग्रीवा) गिरा था इस शक्ति पीठ का नाम महालक्ष्मी है इनकी रक्षा शम्बरानंद भैरव जी करते हैं
28 – कांची देवगर्भा शक्ति पीठ, बांग्लादेश
ये बंगाल के बीरभुम जिले के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व मे स्थित कोपई नदी के तट पर कांची नामक स्थान पर माता सती की अस्थि गिरी थी। इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति देवगर्भा है।
29 – कालमाधव देवी शक्ति पीठ, मध्यप्रदेश
ये मध्यप्रदेश के अमरकंटक के पास कालमाधव स्थित सोन नदी के तट पर स्थित है यहाँ पर माता सती का बांया नितंब गिरा था जाकर इस शक्ति पीठ का नाम माता काली है रक्षक भैरव को असितांग भैरव हैं।
30 – शोणदेश नर्मदा शोणाक्षी शक्ति पीठ, मध्यप्रदेश
ये मध्यप्रदेश के अमरकंटक स्थित नर्मदा नदी के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर स्थित है यहाँ माता सती का दांया नितंब गिरा था इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति माता नर्मदा है इसके रक्षक भैरव को भद्रसेन हैं।
31 – रामगिरि शिवानी शक्ति पीठ, उत्तरप्रदेश
ये उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन के पास चित्रकूट रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था। इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति शिवानी है और रक्षक चंड भैरव के नाम से जानते हैं।
32 – उमा शक्ति पीठ, वृन्दावन उत्तरप्रदेश
ये उत्तरप्रदेश में मथुरा के पास वृंदावन मे भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे।
33 – शुचि- नारायणी, तमिलनाडु
ये तमिलनाडु मे कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम के मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है। यहां पर माता सती के ऊपरी दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे और इनका नाम माँ नारायणी हैं और भैरव को संहार भैरव कहते हैं।
34 – पंचसागर- वाराही शक्ति पीठ
ये शक्ति पीठ पंच सागर यहां पर माता सती के निचले दांत गिरे थे इसकी शक्ति नाम वराही है और महारुद्र भैरव रक्षक हैं।
35 – अपर्णा करतोयातट शक्ति पीठ, बांग्लादेश
ये माता शक्ति पीठ बांग्लादेश मे शेरपुर बागुरा स्टेशन से कुछ दूर भवानी पुर गाँव के पास करतोया तट पर स्थित है यहाँ पर माता सती की पैर की पायल गिरी थी इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति अपर्णा माता है वामन भैरव इसके रक्षक हैं।
36 – श्रीसुंदरी श्री पर्वत शक्ति पीठ, जम्मू एवं कश्मीर
कश्मीर के लद्दाख के पर्वत पर माता सती के दाएं पैर की पायल गिरी थी। इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति श्री सुन्दरी देवी है इस शक्ति पीठ के रक्षक भैरव को सुन्दर आनंद भैरव जी हैं।
37 – कपालिनी शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
ये पश्चिम बंगाल मे पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक मे स्थित विभाष स्थान पर माता सती की बाईं एड़ी गिरी थी।
38 – चंद्रभागा प्रभास शक्ति पीठ, गुजरात
ये शक्ति पीठ गुजरात मे जुनागड़ में सोमनाथ मंदिर के पास स्थित है यहाँ पर प्रभास क्षेत्र में माता सती का उदर भाग जा गिरा था इस शक्ति पीठ का नाम माँ चन्द्रभागा है वक्रतुण्ड भैरव इसके रक्षक हैं।
39 – अवंती शक्ति पीठ, मध्यप्रदेश
ये मध्यप्रदेश मे उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता सती जी के होंठ जा गिरे थे।
40 – जनस्थान- भ्रामरी शक्ति पीठ, महाराष्ट्र
ये महाराष्ट्र मे नाशिक की गोदावरी नदी घाटी में जन स्थान पर स्थित है यहाँ माता सती की ठोड़ी जा गिरी थी इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति माँ भ्रामरी देवी है इसके रक्षक भैरव को विकृताक्ष भैरव हैं।
41 – सर्वशैल स्थान शक्ति पीठ, आंध्रप्रदेश
ये शक्ति पीठ आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र मे स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) जा गिरे थे।
42 – विश्वेश्वरी शक्ति पीठ,
ये गोदावरी नदी के तट पर स्थित है यहाँ माता सती के दक्षिण गाल गिरा था इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम माता विश्वेश्वरी है| इसके रक्षक भैरव को दंडपाणि जी भैरव कहते हैं।
43 – रत्नावली कुमारी शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
ये शक्तिपीठ बंगाल में हुगली जिले के खाना कुल कृष्णानगर मार्ग से रत्नावली नदी के तट पर स्थित है यहाँ पर माता सती का दांया स्कंध जा गिरा था इस शक्ति पीठ का नाम कुमारी देवी है| इसके रक्षक शिव हैं।
44 – मिथिला- उमा महादेवी शक्ति पीठ, नेपाल
ये नेपाल की सीमा पर जनकपुर के रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता सती का बायां स्कंध जा गिरा था।और इस शक्तिका नाम माँ उमां है।
45 – नलहाटी- कालिका तारापीठ, पश्चिम बंगाल
ये पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के पास निकट नलहाटी में माता सती के पैर की हड्डी जा गिरी थी। इस शक्ति का नाम कालिका देवी है|
46 – कर्णाट (जय दुर्गा शक्ति पीठ)
ये कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान जा गिरे थे।इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम जय दुर्गा है। रक्षक भैरव को अभिरु हैं।
47 – वक्रेश्वर शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
ये शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के वीरभूमि दुबराजपुर से कुछ दूरी पर वक्रेश्वर में पाप हर नदी के तट पर स्थित है यहाँ माता सती का भ्रू मध्य( मन;) गिरा था इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति महिषमर्दिनी है इसके रक्षक भैरव को वक्र नाथ भैरव जी हैं।
48 – यशोरेश्वरी शक्ति पीठ, बांग्लादेश
ये बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता सती के हाथ और पैर जा गिरे थे।
49 – फुल्लरा शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
ये पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से कुछ किलो मीटर दूर अट्टहास स्थान पर माता सती के होठ जा गिरे थे।
50 – नंदिनी शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल
ये पश्चिम बंगाल मे वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन के नदीपुर स्थित चार दीवारी में बरगद के वृक्ष के पास माता सती का गले का हार जा गिरा था। इस शक्ति पीठ का नाम शक्ति नंदिनी है।
51 – इंद्राक्षी शक्ति पीठ, श्रीलंका
ये शक्ति पीठ श्रीलंका के त्रिकोमाली में स्थित है यहाँ माता सती की पायल जा गिरी थी और इसके रक्षक राक्षसेश्वर भैरव हैंऔर इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम इंद्राक्षी है
52 – विराट अंबिका शक्ति पीठ
ये शक्ति पीठ विराट (अज्ञात स्थान) है यहाँ माता सती की पैर की अंगुली जा गिरी थी इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम अंबिका है और इसके रक्षक भैरव को अमृत भैरव हैं।