श्री गणेश मंत्र

श्री गणेश मंत्र

श्री गणेश मंत्र

श्री गणेश मंत्र: गणेश जी की पूजा करने के लिए कुछ महामंत्र बताए गए हैं। जो आसान है और संस्कृत नहीं जानने वाले लोग भी इन मंत्रों को पढ़ सकते हैं। इन मंत्रों को बोलने से पूजा पूर्ण होती है और गणेश जी भी  जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। यहां हम श्री गणपति जी के कुछ बेहद खास और प्रमुख मंत्रों एवं उनके अर्थ के बारे बता रहे हैं।

 

ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये

वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः ॥

मंत्र का अर्थ: गणेश शुभ लाभ समृद्धि के लिए प्रार्थना है जो भगवान गणेश के बीज यानी बीज मंत्र पर आधारित है। हे भगवान श्री गणेश जी आपकी कृपा और आशीर्वाद हमें हर जन्म में मिलता रहे। आपके आशीर्वाद से एक स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन व्यतीत करें। हमें सौभाग्य प्रदान कर हमारी हर बाधा को दूर करें प्रभु।

 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

मंत्र का अर्थ: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।
मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें) ।

 

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

मंत्र का अर्थ: विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।

 

अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।

मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥

मंत्र का अर्थ: हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप परशु धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है । आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है ।

 

एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः ।

प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥

मंत्र का अर्थ: जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है ।

 

एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात।।

मंत्र का अर्थ: एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें।

गजाननं भूत गणादि सेवितं,

कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्,

नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

मंत्र का अर्थ: भूत व गणों से सेवित (सेवा किये जा रहे) सुंदर कवीट और जामुन के फल खाने वाले शोकों का नाश करने वाले,विघ्न दूर करने वाले देव, उमा सुत गजानन के चरण कमलों को मैं नमन करता हूँ।